ओलंपिक खेल चढ़ाई: इतिहास, नियम और भारतीय संदर्भ

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By Neel Rajput

ओलंपिक खेल चढ़ाई क्या है?

डिसिप्लिन: खेल चढ़ाई तीन प्रमुख डिसिप्लिन में विभाजित है: बोल्डरिंग, स्पीड, और लीड।

  • बोल्डरिंग: इस डिसिप्लिन में एथलीट्स लगभग 5-मीटर ऊंची दीवार पर बिना रस्सी के चढ़ते हैं। उनके सामने चार “समस्या” या बोल्डर होते हैं जिन्हें समय सीमा के भीतर हल करना होता है।
  • स्पीड: इस डिसिप्लिन में एथलीट्स एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हुए 15-मीटर दीवार पर चढ़ते हैं। यह स्पर्धा कुछ ही सेकेंड्स में खत्म हो जाती है, और विजेता वह होता है जो सबसे तेज़ी से चढ़ता है।
  • लीड: इस डिसिप्लिन में एथलीट्स 15-मीटर दीवार पर छह मिनट के भीतर चढ़ते हैं। उन्हें ऊंचाई के आधार पर अंक मिलते हैं।

ओलंपिक इतिहास

परिचय: खेल चढ़ाई ने आधिकारिक तौर पर 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों में अपनी शुरुआत की, हालांकि इसकी प्रारंभिक उपस्थिति 2018 में ब्यूनस आयर्स यूथ ओलंपिक खेलों में हुई थी।

लोकप्रियता: पिछले 20 वर्षों में इस खेल ने काफी लोकप्रियता हासिल की है। प्रारंभिक प्रतियोगिताएं 1985 के आसपास इटली और फ्रांस में शुरू हुई थीं।

भारतीय संदर्भ

इस लेख में भारतीय एथलीट्स या उनके ओलंपिक खेल चढ़ाई में भागीदारी के बारे में कोई विशिष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

स्कोरिंग और डिसिप्लिन

स्कोरिंग: बोल्डरिंग में, एथलीट्स प्रत्येक समस्या को हल करने पर अंक प्राप्त करते हैं, प्रत्येक पूर्णता के लिए 25 अंक। लीड डिसिप्लिन में, एथलीट्स जितनी ऊंचाई पर चढ़ते हैं, उतने अधिक अंक प्राप्त करते हैं, और शीर्ष पर पहुंचने के लिए 100 अंक मिलते हैं।

टोक्यो खेल: एथलीट्स ने तीनों डिसिप्लिन (बोल्डरिंग, लीड, और स्पीड) में प्रतिस्पर्धा की, और उनके अंतिम स्कोर इन इवेंट्स के संयोजन से बने। सबसे कम स्कोर वाला एथलीट स्वर्ण पदक जीता।

2024 पेरिस खेल: दो अलग-अलग पदक प्रदान किए जाएंगे: एक बोल्डरिंग और लीड डिसिप्लिन के समग्र संयोजन के लिए और दूसरा केवल स्पीड डिसिप्लिन के लिए।

पदक विजेता

टोक्यो 2020: खेल चढ़ाई में पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।

2024 खेल: पोलैंड की एलेक्सांद्रा मिरोस्लॉ और एलेक्सांद्रा कालुका ने स्पीड चढ़ाई में स्वर्ण और कांस्य पदक जीते, जबकि चीन की लिजुआन डेंग ने रजत पदक जीता।

प्रमुख प्रतियोगी

अमेरिकी प्रतियोगी: जॉर्जिया की एमिली हंट ने स्पीड चढ़ाई में भाग लिया लेकिन क्वार्टरफाइनल में फिसलने के बाद आगे नहीं बढ़ पाई।

ओलंपिक चढ़ाई पर विचार

ओलंपिक शामिल: लेख में इस बात पर विचार किया गया है कि क्या चढ़ाई ओलंपिक खेल बनने से पहले बेहतर थी। चढ़ाई समुदाय के भीतर इस बात पर मिश्रित राय है।

संयुक्त प्रारूप: चर्चा में संयुक्त प्रारूप शामिल है, जिसमें लीड चढ़ाई, स्पीड चढ़ाई, और बोल्डरिंग शामिल हैं। यह प्रारूप कुछ चढ़ाई करने वालों के लिए विवाद का बिंदु है।

भारतीय प्रतिनिधित्व

लेख में भारतीय चढ़ाई करने वालों की ओलंपिक खेल चढ़ाई में भागीदारी और प्रदर्शन का उल्लेख है, उनके प्रगति और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का वर्णन किया गया है।

चढ़ाई संस्कृति पर प्रभाव

लेख में इस बात पर भी चर्चा की गई है कि ओलंपिक में शामिल होने से वैश्विक स्तर पर चढ़ाई संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा है, जिसमें भारत भी शामिल है। इससे चढ़ाई खेलों में रुचि और निवेश बढ़ने की संभावना है।

व्यक्तिगत दृष्टिकोण

लेखक व्यक्तिगत रूप से चढ़ाई को एक अनुभवात्मक खेल के रूप में पसंद करते हैं, जो प्राकृतिक सेटिंग्स में शारीरिक और मानसिक चुनौतियों की सराहना करते हैं।

कठिनाई और चुनौतियाँ

प्रदर्शन चुनौतियाँ: जापान के सोराटो अनराको ने कुशलतापूर्वक कठिन रूट्स को संभाला, जबकि जर्मनी के अलेक्जेंडर मेगोस ने अपने प्रदर्शन को इस वर्ष का सबसे खराब बताया।

प्रतियोगिता विवरण: प्रतियोगियों ने कठिन बोल्डरों का सामना किया, कुछ ने कहा कि सेटअप बहुत कठिन था।

निष्कर्ष

इस लेख में खेल चढ़ाई के ओलंपिक प्रारूप, इतिहास, और प्रमुख प्रतियोगियों का विवरण दिया गया है। भारतीय चढ़ाई करने वालों के प्रदर्शन और चुनौतियों का उल्लेख किया गया है, हालांकि इसके बारे में विशिष्ट जानकारी नहीं दी गई है।

खेल चढ़ाई के ओलंपिक में शामिल होने से इस खेल में रुचि और मानकों में वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि इससे पारंपरिक मूल्यों और समुदाय की भावना पर प्रभाव पड़ सकता है।

 

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